एक जज्बा,एक जोश ,उठता हुआ उमंग और उसका एक तरंग, शक्ति दृढ़ता की ,उस मनः स्थिति की जो झंझावातों से टकराते हुए ,भग्न होने कि चिंता न करते हुए ,अपनी तीव्र जिजीविषा ,चाहत के अनुराग से ,विफलता के सोच से अनभिज्ञ ,कर्म के लिए ही मात्र व्याकुलता लिए ,अपने निर्धिष्ट दिशा मात्र की ओर अग्रसर ,ह्रदय में इछा शक्ति का इतना कोलाहल लिए की शेष सब गौण,जो भस्मीभूत कर दे हर अडचनों ,अवरोधों को ताकि शेष रह जाये बस चाहत की शक्ति अपरिमित,अतुल्य और स्तुत्य अनुपम और निर्मल ,बस एकमात्र स्त्रोत किसी राहत का.......
इन्सान चाहे तो कायनात को बदल दे ,तूफानों का रुख मोड़ दे,ज्वालामुखी की अग्नि को निगल जाये,सागर के बवंडरों पर अठखेलियाँ करे सिर्फ एक इच्छा शक्ति से ,वो चाहने की आग,कुछ कर पाने का राग .......
Friday, June 11, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment